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गिलोय के चमत्कारी फायदे।

गिलोय के चमत्कारी फायदे। गिलोय प्राचीन काल से एक दिव्य औषधि माना जाता है, इसलिए इसे अमृता भी कहते हैं। अमृता अर्थात जो अनादि काल तक स्वस्थ जीवन देने की क्षमता रखता है। गिलोय को विभिन्न नाम से जानते हैं जैसे गिलोय, गिलोची, अमृता इत्यादि। इसे कुचने या मसलने पर चिकना चिपचिपा पदार्थ निकलता है।आईए … Read more

नीम के फायदे

नीम के फायदे। हमारे वैदिक परंपरा में नीम के वृक्ष का एक उच्चतम महत्व है, हमारे यहां नीम को दिव्य वृक्ष भी कहा जाता है इसलिए नीम के वृक्ष की पूजा भी की जाती है। आईए नीम के कुछ अद्भुत फायदे को देखते हैं। नीम का वृक्ष अधिक मात्रा में ऑक्सीजन उत्पन्न करता है जिससे … Read more

प्रोढावस्था में हड्डी एवं जोड़ो में दर्द का होना, ‘मिल्क’ का सेवन करना है एक मुख्य कारण।

आज जिस तरीके से प्रोढावस्था में हड्डी एवं जोरो का दर्द बढ़ता जा रहा है चाहे वह महिला हो या पुरुष यह एक गंभीर समस्या है, यह समस्या कुछ हद तक हमने ही उत्पन्न किया है तथाकथित पाश्चात्य संस्कृति के दिखावे में आकर, जब से हमने पारंपरिक सनातन संस्कृति से मुंह फेरना चालू किया है … Read more

चर्म रोग का मुख्य कारण केमिकल युक्त साबुन का उपयोग करना है ।

चर्म रोग का एक मुख्य कारण’ केमिकल युक्त साबुन का उपयोग करना’।आज जिस तरीके से चर्म रोग लगातार बढ़ रहा है हर वर्ग के लोगों में, चाहे वह बच्चे हो युवा हो या बुजुर्ग हो और खास करके महिलाओं में, इसका एक मुख्य कारण है केमिकल युक्त साबुन का उपयोग करना, आईए समझते हैं किस … Read more

‘दातुन’ दांतों को स्वस्थ रखने का संजीवनी।

दातुन से दांतों को साफ करना आयुर्वेद में उत्तम माना गया है। पहले समय में हमारे यहां केवल दातुन का ही उपयोग किया जाता था दांतों को साफ करने के लिए, लेकिन इस बढ़ते आधुनिकता में आज ज्यादातर प्लास्टिक से बने ब्रश का उपयोग किया जा रहा है। जो हमारे दांतों एवं स्वास्थ्य दोनों के … Read more

पत्तल पर भोजन करना आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लाभप्रद है।

हमारे यहां ऐसी व्यवस्था बनाई गई थी जिससे कि ज्यादातर वस्तु अपने आसपास से उपलब्ध हो जाया करता था, अब यदि पुराने समय में पत्तल पर भोजन करने को ही ले ले तो यह आसानी से हमारे आसपास मिल जाता था। पत्तल पर भोजन करने से हमारा शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा तो रहता ही था वहीं … Read more

वृक्ष/पौधे प्रकृति एवं पर्यावरण के संचालक है।

आज इस तथाकथित आधुनिक समय में हर कोई अपने बालकनी में मनीप्लांट लगाना पसंद करता है लेकिन वाकई मनी प्लांट लगाने से घर में धन आने लगता है, यह एक अलग विषय है। लेकिन ज्यादातर घरों के आंगन में फलदार व छायादार वृक्ष नहीं लगे होते हैं। जबकि हरेक आंगन में इस प्रकार के वृक्ष … Read more

पोषक तत्व के नाम पर निर्दोष जीव को आहार बनाना क्या उचित है??

भगवान के बनाए हुए सृष्टि में सभी “व्यवस्था” चाहे वह रहने के लिए,खाने के लिए या किसी और चीज के लिए हो, सभी के लिए एक पारिस्थितिकीतंत्र है।  जिस प्रकार मनुष्य किसी दूसरे जीवो के बनाए आवास में नहीं रह सकता है, उनके तरह भोजन नहीं कर सकता है क्योंकि मनुष्य का इकोसिस्टम अन्यजीव से … Read more

दही एवं छाछ बलवर्धक व पाचन वर्धक टॉनिक है।

चरक ऋषि के अनुसार दही पवित्र एवं पौष्टिक है इसलिए किसी भी शुभकार्य करने से पहले दही को उपयोग में लिया जाता है। इसलिए दही को मंगलकारी भी कहा जाता हैं। इसके कुछ आध्यात्मिक एवं तार्किक तथ्य को जानते हैं। चरक ऋषि के अनुसार दही को ‘रोचनम्’ बताया गया है, अर्थात खाने में यह रुचिकर … Read more

धरती पर कंक्रीट बिछाने का दुष्प्रभाव/पर्यावरण एवं प्रकृति में असंतुलन।

आज इस तथाकथित अत्याधुनिक समय में हर कोई दिखावे की होर में लगा हआ है, पाश्चात्य संस्कृति से  प्रेरित होकर हु बहूं नकल करने की प्रयास में लगे‌ हुए हैं। बिना इसके परिणाम को ध्यान में रखकर अंधाधुन नकल के पीछे दौड़ रहे हैं। आज जिस तरीके से कंक्रीट का पूरा विशाल जंगल धरती पर बिछाया जा रहा है ज्यादा समय नहीं लगेगा प्रकृति की व्यवस्था को अस्त व्यस्त होने में। आईए जानते हैं किस तरह आज मानव कंक्रीट का जाल बिछाकर स्वयं एवं सभी जीव जंतु एवं प्रकृति को खतरे में डालने की कोशिश कर रहा है। 

कंक्रीट जंगल

 

कंक्रीट का मकान बनाकर स्वयं, सभी प्राणियों एवं प्रकृति को तपना, कंक्रीट के मकान जल्दी गर्म हो जाते हैं फिर गर्मी से बचने के लिए भारी-भारी  AC का प्रयोग करना, परिणाम अंदर ठंडा एवं बाहर भीषण गर्मी इसका दुष्प्रभाव सभी प्राणियों एवं प्रकृति पर पड़ता है।

भीषण गर्मी

कंक्रीट का लेयर जमीन पर बिछाने से धरती के अंदर ना तो पानी जा सकता है ना हीं हवा परिणाम स्वरूप धरती ताप्ती रहती है और प्रकृति में असंतुलन बन जाता है।

कंक्रीट का लेयर जमीन पर बिछाने से  जमीन के अंदर पानी बिल्कुल भी नहीं जाता है जिससे जमीन का जलस्तर पाताल में जाने की संभावना बनी रहती है। जिसका सीधा असर जल चक्र पर पड़ता है आज हम देख सकते हैं बिना मौसम बारिश और बारिश के समय में कोई‌ बारिश नहीं।

सीधा-सीधा माने तो आज इस भीषण गर्मी एवं पर्यावरण असंतुलन का मुख्य जिम्मेदार कंक्रीट से बिछाया गया यह  जंगल ही है।

गो कृष्ण

तो फिर इसका उपाय क्या है, उपाय है गोवंश, गोवंश से प्राप्त गोवर(गोबर )

गौवंश का गोवर

आईए समझते हैं गोबर इस भीषण गर्मी एवं प्रकृति असंतुलन से कैसे बचै सकता है। गोबर के अंदर ऊष्मा रोधी गुण होता है, अर्थात यह किसी प्रकार की ऊर्जा को अंदर प्रवेश होने नहीं देता है। यदि हम कंक्रीट के जगह गोकृट का  इस्तेमाल करें तो इससे बनने वाला उत्पाद कंक्रीट की तुलना मैं बहुत कम लागत में बन जाएगा और प्रकृति का भी नुकसान नहीं होगा।

भारतीय गाय

आईए समझते हैं कैसे, जब गोबर से बने प्लास्टर को दीवाल पर या धरती पर लगाएंगे तो इससे होकर जल एवं वायु का प्रवेश होता रहेगा परिणाम स्वरूप धरती गर्म नहीं होगी, जलस्तर बना रहेगा।

खुशहाल धरती

सबसे महत्वपूर्ण हमें अपना कमरा ठंडा रखने के लिए भारी-भारी AC लगाने की जरूरत नहीं होगा जिसे पर्यावरण भी भीषण गर्मी से बचा रहेगा।

गोकृट वैदिक भवन

जमीन के अंदर पानी रिश्ता रहेगा कभी भी जल चक्र प्रभावित नहीं होगा। पर्यावरण में कभी असंतुलन नहीं बनेगा।

 इस अत्याधुनिक समय में लोग आध्यात्मिकता को स्वीकार करना भी नहीं चाहते।लेकिन हमारे पूर्वज बहुत ही समझदार एवं बुद्धिजीवी थे इसलिए वह शुरू से ही अपने घरों एवं धरती पर गोबरमिट्टी का लेप लगाया करते थे। इसलिए अपने जड़ों से जुड़े रहें गोवंश की सेवा करें। यही मानव, सभी जीव जंतु एवं प्रकृति को बचा सकते हैं।

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