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गोमय वसते लक्ष्मी – gomey vaste laxhmi

गोमय वसते लक्ष्मी

गोमय वसते लक्ष्मी

हमारे शास्त्र में कहा गया है, ” गोमय वस्ते लक्ष्मी ” अर्थात गोवर(अपभ्रंश गोबर) में लक्ष्मी का वास है, आई समझते हैं ।

हमारे यहां कहावत है, जैसा खाएंगे अन्न वैसा होगा  मन, आज जो हम भोजन कर रहे हैं, ज्यादातर रसायन युक्त फल स्वरुप शारीरिक एवं मानसिक विकार और व्यर्थ खर्च चिकित्सा का। यदि कृषि जैविक खाद (गोवर ,गोमूत्र ,जीवामृत) पद्धति से हो तो भोजन में पोषक तत्वों की कमी नहीं रहती है ,फल स्वरुप शारीरिक एवं मानसिक लाभ। चिकित्सा पर खर्च न क बराबर, हमारे स्वास्थ्य में संपूर्णवृद्धि वह आर्थिक बचत एवं आर्थिक लाभ!

गोवर युक्त खेती से रासायनिक खाद का कोई खर्चा नहीं आता है, फल स्वरुप आर्थिक बचत। शुद्ध सात्विक एवं पोशाक तत्वो  से भरपूर अनाज की बिक्री से हमें ज्यादा आर्थिक लाभ ।

गोवर युक्त कृषि से जमीन में हमेशा नमी बनी रहती है, कृषि करने में अतिरिक्त कोई खर्चा सिंचाई पर नहीं करना पडता है ,हमारा आर्थिक बचत।

गोवर गैस से हम बिजली बना सकते हैं ,इस प्रकार आत्मनिर्भर होकर अपने खर्चे को कम कर सकते हैं ।हमारा आर्थिक बचत और व्यापार करके आर्थिक लाभ ले सकते हैं।

गोवर के उपले अच्छी ऊर्जा के साथ लंबे समय तक जलता है, इसका उपयोग ईंधन की तरह कर सकते हैं, आर्थिक बचत, एवं व्यापार कर के आर्थिक लाभ ले सकते हैं।।

गोमय वसते लक्ष्मी

हमारे यहां गोवर्धन पूजा इसलिए की जाती है (हमारा आध्यात्मिक तथ्य वैज्ञानिक तर्क पर सत प्रतिशत खड़ा उतरता है) इसलिए गोवंश की सेवा करें, जो सबसे बड़ा सेवा हैं। पोस्ट को ज्यादा ज्यादा लोग तक पहुंचाएं ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करें ।

जय श्री राम, राधे-राधे , वंदे गौ मात्रम, भारत माता की जय।

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गोवंश सेवक, क्षत्रिय का कर्तव्य है धर्म के मार्ग पर चलना एवं लोगों को इसके लिए प्रेरित करना।

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