जैविक खेती बिल्कुल कम खर्चे में कैसे किया जाए
आज का जो कृषि व्यवस्था है, उसमें ज्यादातर कृषि रासायनिक खाद एवं कीटनाशक पर निर्भर है। जिसका सबसे बुरा प्रभाव धरती पर एवं हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है , आज जानेंगे बिल्कुल कम खर्चे में जैविक खेती किया जा सकता है, आई समझते हैं।
जैविक खती अर्थात गौ आधारित खेती, इसके अंतर्गत पंचगव्य एवं आयुर्वेदिक औषधि के संयोजन से गो कृपा अमृतम बनाया जाता है, इस प्रकार हमारा जामन तैयार हो जाता है। अब हमें केवल इसे ड्रम में इखट्टा करके रखना होता है, जहां इसमें हवा का आवागमन होता रहे।
इसके उपयोग से हमें उतना ही या उससे अधिक उत्पादन कम समय में मिलता है, साथ ही सदा के लिए यूड़िया, डीएपी एवं पेस्टिसाइड्स से मुक्ति मिल जाता है।
भारतीय गोवंश के गमूत्र में कई प्रकार के कंपाउंड पाए जाते हैं, आज तक दुनिया में एलोपैथी में जितने भी पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए आवश्यक माने जाते हैं वह सब गोमूत्र में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। उदाहरण स्वरूप तांबा, मैंगनीज ,गंधक एवं स्टेरॉयड इस प्रकार यह माहा औषधि है।
गोवंश के गव्यो में भरपूर मात्रा में स्वर्ण क्षार पाया जाता है, स्वर्ण क्षार ,गोमय, गोमूत्र और दूध में सुपाच्य स्वरूप में होता है। और यह स्वर्ण क्षार मनुष्य एवं वनस्पतियों दोनों के लिए महा औषधि है ।
गौ कृपा अमृतम जिस भी स्थान पर डाला जए वहां केचुओं की संख्या मैं वृद्धि होने लगता है, केचुआ जो किसान का सबसे बड़ा मित्र है।
आज हम जो सबसे बड़ी गलती कर रहे हैं वह कृषि करने के लिए यूरिया का प्रयोग करना, यूरिया के प्रयोग स जमीन के ऊपर एक परत सब बन जाता है, धीरे-धीरे जमीन बंजर होने लगती है।
गो कृपा अमृत के प्रयोग से जमीन हल्की रहती है , जल का स्तर बना रहता है, जमीन कभी बंजारा नहीं होता, सिंचाई में ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता है।
जब यह जामन खत्म होने लगे , 1 लीटर गौ कृपा अमृतम को देसी छाछ एवं देसी गुड़ के साथ मिलकर 200 लीटर पानी मैं मिला दे और अच्छी तरह हिला करके हफ्ता भर छोड़ दे, फिरसे 200 लीटर गो कृपा अमृतम तैयार हो गया।
इस गौ कृपा अमृतम को फसल में डाले एवं शुद्ध सात्विक अनाज उपज कर मनुष्य एवं धरती माता को अच्छा स्वास्थ्य दे।
जैविक कृषि कर स्वयं को धरती को एवं संपूर्ण प्रजाति को स्वस्थ रखें, गोवंश की सेवा करें, पोस्ट को ज्यादा ज्यादा शेयर करें।
वंदे गौ मात्रम, राधे-राधे, भारत माता की जय।🙏🙏🙏
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