चरक ऋषि जी कहते है , घी वात और पित्त को नियंत्रित रखने में सहायक है। घी विष के दुष्प्रभाव को भी दूर कर सकता है। उन्माद यानी मनसिक असंतुलन के लिए घी बहुत लाभकारी है। आचार्य चरक के अनुसार घी बुद्धि , वीर्य तथा ओज को बढ़ाता है।
चरक ऋषि के अनुसार घी स्निग्ध वस्तुओं में सर्वश्रेष्ठ हैं।इसकी शीत प्रकृति है घी यौवन को बनाए रखना में अति सहायक है। आयुर्वेदिक विधि के अनुसार बनाया गया घी १००० से अधिक बीमारियों में लाभदायक है।
वैज्ञानिक अनुसंधान के अनुसर भी बिलोना प्रक्रिया के अनुसार बनाए गए घी में अधिक मात्रा में पोषक तत्व होते हैं ।फ्रिज में रखी हुई मलाई की घी से अधिक लाभ प्राप्त नहीं होता है।
पुराने घी के औषधीय गुण अधिक होते हैं। पुराना घी मानसिक रोग ,पेट का रोग, सिर और कान तथा स्त्री के योनि रोग आदि को मिटाता है।
वाग्भट ऋषि के अनुसार घी स्वास्थ्यवर्धक है, सेवन किए हुए तमाम पदार्थ के पाचन में सहायक है। घी पाचन अग्नि ,बल, आयु एवं आंखों की ज्योति को बढ़ता है। गौ माता का घी बालक और वृद्ध के लिए विशेष रूप से हितकारक है।
वाग्भट ऋषि के अनुसार घी अवश्य खाने चहिए बालक अर्थात १६ वर्ष से कम आयु के बच्चे और ४0 वर्ष से अधिक वर्ष के लोगों को घी का सेवन अवश्य करना चाहिए। जिन्हें अच्छी संतान, अच्छा चेहरा चाहिए, अच्छी ध्वनि चहिए उन्हें भी घी अवश्य खाना चाहिए।
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हड़जोड़ के डंटल को देसी गोमाता के घी में तलकर देसी गोमाता के दूध के साथ लेने से फ्रैक्चर और अर्थराइटिस में लाभ होता है।
- विटामिन डी की कमी हो तो घी का सेवन अवश्य करें।
आयुर्वेदिक शास्त्रों अनुसार घी विष के प्रभाव को भी दूर कर सकता है यदि जहर पी लिया हो तो उसमें बहुत अधिक घी पीने से जहर उल्टी के साथ बाहर निकल जाता है।
- बालों में घी लगाने से बाल का झड़ना बंद हो जाता है।
घी को कभी भी सामान मात्रा में शहद के साथ , ठंडे पानी के साथ नहीं लेना चाहिए।
घी से नस्य में लाभ, घी के २ बूंद नाक में डालने से सर दर्द ,खर्राटे की तकलीफ ,अनिद्रा , मस्तिष्क की बीमारियों ,तनाव ,अस्थमा जैसे अनेक बीमारियों में लाभ होता है।
एक चम्मच घी में लगभग ५००एमजी ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैट्स उपस्थित होते हैं विज्ञान अनुसार यह तत्व दिमाग, हृदय रोग प्रतिरक्षा, पाचन इत्यादि में अत्यंत लाभकारी है।
एक चम्मच घी में लगभग ३-५ ग्राम मनोअनसेच्युरेटेड फैट्स उपस्थित है। विज्ञान अनुसार या तत्व शरीर की ऊर्जा बढ़ता है, दिमाग और पाचन को सुधारता है।
घी में प्राकृतिक रूप से ब्यूटायरेट उपलब्ध होता है। विज्ञान अनुसार यह तत्व पाचन के अधिकतर तकलीफों में, वजन कम करने में और सूजन कम करने में अत्यंत उपयोगी है।
गाय के घी में सबसे अधिक CLA होता है विशेष कर जब उनके खुराक मैं ताजे हरे चारे की मात्रा अधिक हो ।विज्ञान अनुसार यह तत्व हृदय के लिए अत्यंत लाभकारी है।
इस प्रकार गौमाता का घी विकराल से विकराल असाध्य रोग एवं सरे गले शरीर को भी सही कर सकता है ।इसलिए गौ माता की सेवा करें स्वाभिमान पूर्वक ।पोस्ट को ज्यादा ज्यादा शयर करें।
वंदे गो मात्ररम, जय श्री राम, राधे-राधे, भारत माता की जय।