चर्म रोग का एक मुख्य कारण’ केमिकल युक्त साबुन का उपयोग करना’।
आज जिस तरीके से चर्म रोग लगातार बढ़ रहा है हर वर्ग के लोगों में, चाहे वह बच्चे हो युवा हो या बुजुर्ग हो और खास करके महिलाओं में, इसका एक मुख्य कारण है केमिकल युक्त साबुन का उपयोग करना, आईए समझते हैं किस प्रकार केमिकल युक्त साबुन हमारे स्वास्थ्य एवं शरीर दोनों के हानिकारक है।
आज बाजार में ज्यादातर जो भी साबुन उपलब्ध है, उसमें से ज्यादातर केमिकलयुक्त साबुन है, और जब भी उस साबुन को हम स्नान के लिए या धोने के लिए उपयोग में लेते हैं, ज्यादातर केमिकल हमारे शरीर के ऊपर ही चिपका रह जाता है, परिणाम स्वरुप त्वचा संबंधी रोग।
हमारे घर की गृहणी जब भी केमिकलयुक्त साबुन का प्रयोग बर्तन धोने के लिए करती है, तो इसका दुष्प्रभाव महिलाओं के हाथों पर और उंगलियों में होता है, परिणाम स्वरुप चर्म रोग का उत्पन्न होना।
अब बात यह उठता है आखिर इसका निवारण कैसे किया जाए, हम जिस आयुर्वेदिक पद्धति के साथ पहले रहते थे, उसमें ही है सब कुछ का निवारण।
अर्जुन एक दिव्य पेड़ है,जिसके पत्ते को रात में पानी में मसल कर छोड़ दिया जाए ,सुबह तक उसका जेल बन जाएगा हम इस जेल को लगाकर स्नान कर सकते हैं, हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा और चर्म रोग भी नहीं होगा।
भारतीय गाय का दूध एक अच्छा क्लींजिंग एजेंट है, हम गाय के कच्चे दूध को अपने शरीर पर लगाकर स्नान कर सकते हैं, शरीर से गंदगी का सफाई भी हो जाएगा और चर्म रोग का कोई संभावना भी नहीं बनेगा। इसलिए हमारे बड़े बुजुर्ग पहले से ही कहते आ रहे हैं दूधो नहाओ पूतों फलो।
मुल्तानी मिट्टी को शरीर पर लगाकर स्नान कर सकते हैं, इससे शरीर शीतल भी रहेगा और चर्म रोग दूर-दूर तक नहीं दिखेगा।
आज भी बहुत सारे साबुन चर्बी युक्त होते हैं, हम उसे स्नान कर पूजा, योग इत्यादि कर्म करते हैं, यह बहुत ही दैनीय विषय है। इससे अच्छा हम अर्जुन के पत्ते से या गाय के कच्चे दूध से स्नान करें, हम सात्विक भी रहेंगे, स्वस्थ्य भी रहेंगे और चर्म रोग भी उत्पन्न नहीं होगा ।
गाय के गोबर का उपला जलने के पश्चात राख बन जाता है इस राख को यदि बर्तन धोने में उपयोग किया जाए तो बर्तन अच्छे से साफ भी हो जाएगा एवं चर्म रोग होने का कोई संभावना भी नहीं होगा।
इसलिए अर्जुन का पेड़ लगाए, गाय माता की सेवा करें स्वस्थ रहें।
वंदे गौ मात्ररम, जय श्री राम, राधे राधे, भारत माता की जय।