बिहार एवं यूपी क्षेत्र में पाई जाने वाली गंगातीरी एवं बछौर गोमाता, इनकी प्रकृति एवं प्रवृत्ति इसी क्षेत्र के लिए भगवान ने बनाया है, यदि इन्हें दूसरे क्षेत्र में ले जाया जाए तो इनका संरक्षण संवर्धन बहुत मुश्किल होगा।
पंजाब के क्षेत्र में पाई जाने वाली साहिवाल गाय, इनकी प्रकृति सिर्फ इसी क्षेत्र के लिए है, अब यदि कोई सिर्फ दूध के लिए इन्हें किसी और दूसरे क्षेत्र में ले जाए तो इनका परफॉर्मेंस बिल्कुल भी नहीं होगा।
गुजरात के क्षेत्र में पाई जाने वाली गिर गोमाता इनकी परफॉर्मेंस केवल और केवल इसी क्षेत्र के लिए बनी हई है।
इसी प्रकार राजस्थान में पाई जाने वली थारपारकर एवं कांकरेज गोमाता, हरियाणा में पाई जाने वाली हरियाणवी गाय, महाराष्ट्र में पाई जाने वाली डांगी गाय, और इस तरह हर क्षेत्र में पाई जाने वाली वाली गोमाता का संरक्षण-संवर्धन इनके अपने क्षेत्र में ही ही संभव है, यदि इन्हें किसी और क्षेत्र में ले जाया जाए तो यह ना तो मनसिक ना ही शारीरिक रूप से स्वस्त रह पाएगी।
इस प्रकार हर क्षेत्र में पाई जाने वाली गोमाता सर्वश्रेष्ठ है। हम यदि केवल दूध के लिए गाय माता रखेंगे तो हमें बहुत कठिनाई झेलना पड़ सकता है, हमें गोवर एवं गोमूत्र को बाय प्रोडक्ट बनाना होगा, जिससे हम गोमाता को स्वाभिमान के साथ रख सकेंगे। यदि क्षेत्रीय गोमाता को इनके क्षेत्र में स्नेह के साथ अच्छे रखरखाव में रखा जाए तो इनका दूध भी बढ़ाया जा सकता है।
गोमाता की सेवा करें, आपके क्षेत्र में कौन सी क्षेत्रीय गोमाता है कमेंट में जरूर बताएं।
जय श्री राम, राधे राधे-राधे, भारतमाता की जय