हमारे यहां ऐसी व्यवस्था बनाई गई थी जिससे कि ज्यादातर वस्तु अपने आसपास से उपलब्ध हो जाया करता था, अब यदि पुराने समय में पत्तल पर भोजन करने को ही ले ले तो यह आसानी से हमारे आसपास मिल जाता था। पत्तल पर भोजन करने से हमारा शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा तो रहता ही था वहीं आर्थिक बचत के साथ-साथ रोजगार का भी एक व्यवस्था बन जाता था। आईए समझते हैं पत्तल पर भोजन करना आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कैसे लाभदायक है ।
जब पहले के समय में लोग पत्तल पर भोजन करते तो जिस भी वृक्ष के पत्ते पर भोजन कर रहे होते उसका गुण भी भोजन के साथ-साथ हमें मिल जाए करता था, जैसे यदि केले के पत्ते पर भोजन कर रहे हैं तो केले के पत्ते का पोषक तत्व का गुण भी हमें मिल जाता था। इसलिए केले के पत्ते पर भोजन करना शुभ माना जाता है। इस प्रकार पत्तल पर भोजन करना आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण दोनों तरह से लभप्रद है।
आज भी बहुत ऐसी जगह है जहां पर पत्तल पर भोजन कराया जाता है। जैसे कि दक्षिण भारत ,उड़ीसा और भी अन्य राज्य जिससे स्वास्थ्य भी अच्छा रहा आसपास के लोगों को रोजगार का एक साधन भी मिल गया ।
आज जो भोजन करने की व्यवस्था है ज्यादातर प्लास्टिक से बने बर्तनों पर है जो कि स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
हमारे वीडियो यहां से देखें 👇🏻
पत्तल पर भोजन करने के बाद हम उसे आसानी से जैविक खाद में बदल सकते हैं किंतु प्लास्टिक वह अल्युमिनियमफाइल कभी भी खाद में नहीं बदलता और यही वजह है आज हर जगह कूड़े का ढेर लगा रहता है।
और सबसे महत्वपूर्ण पत्तल बनाने के लिए वृक्ष की आवश्यकता पड़ती है फिर हम वृक्ष का संरक्षण करेंगे, आसपास रोजगार की व्यवस्था बनेगा।लोग शारीरिक एवं आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकेंगे।
इसलिए जहां तक कोशिश हो हमें पत्तल पर ही भोजन करवाना चाहिए जो आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दृषकोण दोनों तरह से लाभप्रद है।पोस्ट को ज्यादा ज्यादा लोग तो शेयर करें धन्यवाद।
जय श्री राम राधे राधे-राधे भारत माता की जय
🙏🙏🙏
Yes