Kshatriyagodhan

वृक्ष/पौधे प्रकृति एवं पर्यावरण के संचालक है।

आज इस तथाकथित आधुनिक समय में हर कोई अपने बालकनी में मनीप्लांट लगाना पसंद करता है लेकिन वाकई मनी प्लांट लगाने से घर में धन आने लगता है, यह एक अलग विषय है। लेकिन ज्यादातर घरों के आंगन में फलदार व छायादार वृक्ष नहीं लगे होते हैं। जबकि हरेक आंगन में इस प्रकार के वृक्ष … Read more

पोषक तत्व के नाम पर निर्दोष जीव को आहार बनाना क्या उचित है??

भगवान के बनाए हुए सृष्टि में सभी “व्यवस्था” चाहे वह रहने के लिए,खाने के लिए या किसी और चीज के लिए हो, सभी के लिए एक पारिस्थितिकीतंत्र है।  जिस प्रकार मनुष्य किसी दूसरे जीवो के बनाए आवास में नहीं रह सकता है, उनके तरह भोजन नहीं कर सकता है क्योंकि मनुष्य का इकोसिस्टम अन्यजीव से … Read more

धरती पर कंक्रीट बिछाने का दुष्प्रभाव/पर्यावरण एवं प्रकृति में असंतुलन।

आज इस तथाकथित अत्याधुनिक समय में हर कोई दिखावे की होर में लगा हआ है, पाश्चात्य संस्कृति से  प्रेरित होकर हु बहूं नकल करने की प्रयास में लगे‌ हुए हैं। बिना इसके परिणाम को ध्यान में रखकर अंधाधुन नकल के पीछे दौड़ रहे हैं। आज जिस तरीके से कंक्रीट का पूरा विशाल जंगल धरती पर बिछाया जा रहा है ज्यादा समय नहीं लगेगा प्रकृति की व्यवस्था को अस्त व्यस्त होने में। आईए जानते हैं किस तरह आज मानव कंक्रीट का जाल बिछाकर स्वयं एवं सभी जीव जंतु एवं प्रकृति को खतरे में डालने की कोशिश कर रहा है। 

कंक्रीट जंगल

 

कंक्रीट का मकान बनाकर स्वयं, सभी प्राणियों एवं प्रकृति को तपना, कंक्रीट के मकान जल्दी गर्म हो जाते हैं फिर गर्मी से बचने के लिए भारी-भारी  AC का प्रयोग करना, परिणाम अंदर ठंडा एवं बाहर भीषण गर्मी इसका दुष्प्रभाव सभी प्राणियों एवं प्रकृति पर पड़ता है।

भीषण गर्मी

कंक्रीट का लेयर जमीन पर बिछाने से धरती के अंदर ना तो पानी जा सकता है ना हीं हवा परिणाम स्वरूप धरती ताप्ती रहती है और प्रकृति में असंतुलन बन जाता है।

कंक्रीट का लेयर जमीन पर बिछाने से  जमीन के अंदर पानी बिल्कुल भी नहीं जाता है जिससे जमीन का जलस्तर पाताल में जाने की संभावना बनी रहती है। जिसका सीधा असर जल चक्र पर पड़ता है आज हम देख सकते हैं बिना मौसम बारिश और बारिश के समय में कोई‌ बारिश नहीं।

सीधा-सीधा माने तो आज इस भीषण गर्मी एवं पर्यावरण असंतुलन का मुख्य जिम्मेदार कंक्रीट से बिछाया गया यह  जंगल ही है।

गो कृष्ण

तो फिर इसका उपाय क्या है, उपाय है गोवंश, गोवंश से प्राप्त गोवर(गोबर )

गौवंश का गोवर

आईए समझते हैं गोबर इस भीषण गर्मी एवं प्रकृति असंतुलन से कैसे बचै सकता है। गोबर के अंदर ऊष्मा रोधी गुण होता है, अर्थात यह किसी प्रकार की ऊर्जा को अंदर प्रवेश होने नहीं देता है। यदि हम कंक्रीट के जगह गोकृट का  इस्तेमाल करें तो इससे बनने वाला उत्पाद कंक्रीट की तुलना मैं बहुत कम लागत में बन जाएगा और प्रकृति का भी नुकसान नहीं होगा।

भारतीय गाय

आईए समझते हैं कैसे, जब गोबर से बने प्लास्टर को दीवाल पर या धरती पर लगाएंगे तो इससे होकर जल एवं वायु का प्रवेश होता रहेगा परिणाम स्वरूप धरती गर्म नहीं होगी, जलस्तर बना रहेगा।

खुशहाल धरती

सबसे महत्वपूर्ण हमें अपना कमरा ठंडा रखने के लिए भारी-भारी AC लगाने की जरूरत नहीं होगा जिसे पर्यावरण भी भीषण गर्मी से बचा रहेगा।

गोकृट वैदिक भवन

जमीन के अंदर पानी रिश्ता रहेगा कभी भी जल चक्र प्रभावित नहीं होगा। पर्यावरण में कभी असंतुलन नहीं बनेगा।

 इस अत्याधुनिक समय में लोग आध्यात्मिकता को स्वीकार करना भी नहीं चाहते।लेकिन हमारे पूर्वज बहुत ही समझदार एवं बुद्धिजीवी थे इसलिए वह शुरू से ही अपने घरों एवं धरती पर गोबरमिट्टी का लेप लगाया करते थे। इसलिए अपने जड़ों से जुड़े रहें गोवंश की सेवा करें। यही मानव, सभी जीव जंतु एवं प्रकृति को बचा सकते हैं।

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